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आज में आपके साथ एक कहानी /घटना पर विचार करना चहाता हु ! कुछ पुरानी बात है , में और चचा , निकले मेरठ की और ,बस में बेठे करीब श्याम 6 बजे |, हमारे चचा बड़े बडबोले , खुले दिमाग और जुबान के,काम और नाम से बकील है ,तभी तो दोस्त होकर भी चचा है सबके ! मेरठ कचेहरी, उनकी कर्मभूमि,धर्मभूमि ,अर्थभूमि है , कभी लगता है की जन्मभूमि भी यही है ,वो लिविंग legend है ।इस कहानी में ये introduction जरुरी <था नही तो कहानी में मज़ा नही आता , और मेरी तो हर दूसरी कहानी में चचा होते ही है , पर समस्या ये है की , मेरे ऐसे चचा बहुत है, आप सबके भी होंगे बस समजने की बात है ?होती तो चची भी है पर किसी को कहने की हिम्मत किसी में नही ! बस अभी रूरकी में ही थी। की चचा 2 समोसे लेकर आये , एक अपना, एक मेरा ( जबकि उन्हें मालूम है की में समोसा नही पसंद करता )।बस मे आसपास का नजारा लिया तो कुछ सुंदर चेहरे दिखे !कुछ खुले थे , कुछ नकाब में थे ,चाचागिरी शुरू हो गयी उनकी ,अरे ! बोबी (मै )” जब हम लखनऊ गए तब हाई कोर्ट के जज भी मेरी बहस पर चुप हो गए थे !;दुसरे बकीलो को पसीने अ गए थे , किस्मत ने साथ न दिया नही तो आज हम भी ( जेसे अकेले वो, में नही ) हाई कोर्ट जज होंते,मेरे पढाये 20 लोग जज है ( जबकी सबको हिंदी . engilish और G .S .बोबी ने पढाये थे ) अब इतना सुन कर लोग उनसे प्रभावित होने ही थे , सो हो गए । तीर चल गया !पर बात खाली तुक्के बाली भी नही थी , L .LB के बाद हम दोनों ही, दो बार हुए, EXAM में साक्षात्कार तक पहुचे थे ,फिर एक प्रयास नाम से कोचिंग भी खोली थी । पर न थी किस्मत की विसाले यार होता ………… और हम जज होते ! सभी का ध्यान खीचकर ,जिसमे खुले और नकाब बालिया दोनों थी , सायद बस में, सभी से ज्यदा योग्य हम ही साबित हो गए थे ।अब चचा ने पूरा ध्यान नकाब ,और उनके पीछे बैठी सुंदर कन्या पर दे दिया !पर कन्या अकेली कहा जाती है ?….. दोनों के साथ हमारे दुसमन थे !जो समज नही पा रहे थे की क्या प्रतिकिया दे ? एसे योग्य लडको पर? पर अचानक, मु. नगर में, सुंदर कन्या और नक़ाब बाली के, वो जिन्हें हम अब्बा समजे बेठे थे ।बस से उतर गए !हमने एक दुसरे को देखा , आँखों से मुस्कराए , हाथो को दवाया , मानो जैसे लड़के दुल्हन को घर ले जाते हुए खुस होते है । अभी तक वो 5-6 बार हमें देखकर मुस्करा चुकी थी ( देख तो न पाए पर हमारे दिल को ये लगा जिसका हमरी आँखों से कोई सत्यापन नही हुआ था )देख चुकी थी ।सीट खाली देख कर पीछे बता एक शिकारी उठा और आगे बड़ा , पर वहा ! रे चचा ,पलक जपकाने से पहले ही चचा उसके साथ सीट पर थे ! रात के 8 बजे थे !बस मु.नगर के भीड़ में फ़सी थी ,जिन्दगी में पहली बार दिल ने कहा ” काश हम लेट होते जाये । अब बस ख़राब हो जाये !जाम लगा रहे !खतोली में ढाबे पर रुक जाये ! हजारो आरजू ऐसी ……..हर एक पर दम निकले , बड़े बे आबरू होकर तेरे कुचे से हम निकले ………………. अचानक वो खुलने लगी , पहले नकाब खोल कर आजादी महसूस की फिर चचा और बोबी (मुझे) को परखा , लगने लगा की बिल्ली के भाग्य से छेका आज जरुर टूट रहा है ,हमने उसके सभी SUBJECT जाच लिए ।अरे !बला की खुबसुरत ,एक बाला , 22-23 साल की उम्र ,बिना बात के मुसकरा रही हो तो , कोन ? अपनी जान ना दे! दे !चचा ने नाम पूछते हुए ….भरपूर खूबसूरती का नज़ारा किया .” शमा: उसने कहा ,तो चचा फस गएकी नाम क्या बताये , कही लव जिहाद न हो जाये , बिरयानी खाने से पहले मुर्गी ने भाग जाये ..उस संमय में भी बोल पड़ा ,मेरा नाम अमन ( किस धर्म का है ?अमन कोई न समज सकता है ये बात तो ) है !और ये हमारे खास दोस्त है नाम नही बोला ,” आप कहा जा रही है ?चचा ने बात पलटी , वो बोली, पल्लाम्पुरम , फिर फालतू बाते होने लगी .धीरे – धीरे बस आगे बदने लगी , उसने बताया की सहेली के छोटे भाई का birth -day है। बही पर जा रही है , पर जाना कहा है? उसे भी नही पता था और उस पर मोबाइल भी नही था । (या हमें नही बता रही थी ) अपना गाव -शहर का पता नही बताया ,,उसने।पर बिलकुल वेफिक्र !बिन्दास ! फिर अचानक पल्लामपुराम से पहेले ही< वो उतरने के लिए खड़ी हो गयी ! हमने ,conductor,अन्य रक्षकों ने सबने बहुत समजाया की यहा तो कुछ नही है । जंगल है ! बस स्टैंड तक चलो !बहा से किसे को बुला लेना ! रात के 10.30 बजे है ,, मेरठ शहर है ये ? पर अचानक उसने जोर से कहा “रोको ! बस रुक गयी ! चचा और में उलझन में ही रह गए ! इसके साथ उतरे ? इसे रोके ?मर जाये क्या करे ? क्या करे , पर ……………………… कुछ न हुआ। वो जंगल , में ही उतर गई …..अगले दिन सबसे पहेले अखवार पड़ा , पर कोई इसी खबर नही थी …….. आज तक भी नही है …..उसका क्या हुआ ? सच क्या था ?वो कोन थी?चचा चुप थे …पूरे सफ़र मे ………अब भी उस बात पर चुप ही है । जो भी दोस्त इस ब्लॉग को पड़ते है। कृपया एस कहानी पर अपनी राय जरुर दे ………
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