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आजाद लड़के !दोस्ती की कसम ….

उलझन ! मेरे दिल की ....
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आजाद लड़के !दोस्ती की कसम
बात कुछ पुरानी है । लगभग 10 साल पुरानी हमारे आजाद लड़की की कहानी बाले सब दोस्त छोटे थे । पर बहुत खोते थे । समीर पहलवान अपने रिश्तेदारी में गए थे।ये महान बालक था जो जन्म से ही भाग्येशाली था ।पूरे खानदान में दो ही भाई थे ।बड़ा भाई दही बड़ा बना रह गया और जीवन में मस्त बना रहा । आम तौर पर पैसे बाले खानदानो के बड़े लड़के ऐसे ही होते है ।अब सारे खानदान को सचिन से ही उम्मीद थी ।उसकी उचाई 6 फीट से निकलती थी और शरीर दारा सिंह के लड़के बिंदु जैसा था ।उस टाइम में भी वुडलैंड के जूते और सोने की चैन थे उसपर ,जब अधिकतर हमउम्र लड़के रबर की चप्पल , और 5 रुपए बाले लोकेट पहन कर हीरो बनते थे, पहनते थे ।कभी ऐसा न हुआ की उसने जो चीज़ सोची हो, न मिली हो ।वो साईकिल खोने के बाद भी हस्ता हुआ घर आ सकता था ।उस दिन भी भाग्य से वो बहा नही था ”

तो बोद्धी यानि विशाल गलती से साथ हो गए ।ये बोद्धि सहाब हर लड़के के समहू में होते है हर सहर मै . इनकी पहेचन ये है की सदा समय का पालन करते है सबका काम दिल से करते है । अपनी कोई बात नही करते सबकी सुनते है कई बार तो एक सब्द भी होता पुरे दिन बस चुप ! हर कोई इनका शोषण करता है हर तरीके से पर ये ख़ुस रहेते है ।नीरज को अपने घर पर बहुत काम होता था वो घर के वर्तन , पोछा सब करते ,उनकी माता जी का रोब तो उनके पिता जी भी मानते थे ।इसलिए वो खाना बनाने में निपुण थे ।पर उस दिन त्यौहार की छुट्टी थी दोनों की , दो -3 घंटे की ।सो वो भी साथ थे ।

बोंस जब भी बोंस ही थे ।घर मै छोटे , बिगड़े लड़ाकू , हर लड़ाई में आगे ,सहर की राजनीति पर पकड़ के लिए लोकल नेताओ के आगे पीछे चमचागिरी रहेते थे ।स्थानीय M .P . के लोकल घर तक आना जाना था । जिस कारण कम उम्र में ही पुलिस तक से पंगा ले लेते थे सबसे बड़ी बात ये थी उनके साथ 20 -25 खाली लडको की फौज थी जो राजनीति में बड़ी काम आती थी , उससे भी बड़ी बात ये की उनके पास पैदल और साइकिल के ज़माने में बाइक थी वो भी याहामा , जिस पर हर टाइम 4 लड़के लटके रहेते थे ।पर असली बात ये थी की गाड़ी उनके फौजी भाई की शादी मै मिली थी और वो देश की रक्षा मै गया था ।पट्रोल तो 10/- का भी मिल जाता था । सबके दाता राम !एक बार अपने खेल के मैदान मै दुसरे मोहल्ले के लडको को अकेले ही खेलने से रोकने पहुच गए !पिटते रहे पर खेलने न दिया , विकेट पर ही बैठ गए अपने लडको के आने तक , तब से सब लड़के बॉस मनाने लगे थे ।अगर एक बार बोल दिया तो लड़के अच्छी से अच्छी शादी बारात का बहिष्कार कर देते थे ।लड़ने मै कभी छोटे – बड़े का फर्क नही किया ।किसी के लिए भी कहि भी लड़ जाते ।

दो जुड़वाँ भाई थे ।राजीव- संजीव एक गोरा था तो एक काला था ।पिता जी अपने बिभाग में पेंशन देखते थे ।जहा की कमाई घर में फली नही ,रिश्वत के मामले में फ़स गए मुकदमा चलता रहा , और लड़के 9 वी से आगे पड ही नही पाए अपने आप ही जागरण पार्टी मै जाने लगे थे ।आवारा नही थे पर पढाई मै दिल नही लगा |

जन्मास्टमी की रात थी 8-10-लड़के दल बनाकर चल दिए झाकी देखने रात के 11 बजे ।एस दिन पूरा शहर 12-1 बजे तक सडको और मन्दिर में मिलता था। इस रात के सफ़र में दादागिरी दिखाना और लडकियों को टपना ,फब्ती कसना ,और एक दो चालू लडको को सिगरेट भी पीनी होती थी कुछ गुटके खा लेते थे वर्त मई भी ।आदि मुख्य उदेश्य रहेते थे ।उस टाइम अगर लड़की किसी को देख भर ले तो बस …..15-20 दिनों तक नहा धोकर साफ दिखना . उसके पीछे रहना , इंतजार करना ,उसका कोई और आशिक हो तो महाभारत होता ही था ।और लडकिय रहेती भी तो साइकिल पर ही थी , उनका पीछा करना आशान था । अब तो सारी माइकल
सुमेकर की चाची बनी रहेती है अपनी स्कूटी पर । और पुलिस बाले भी नही रोकते उन्हें ? चाहे हेलमेट पहेने या नही ? और लाइसेंस तो आज तक पुरे भारत में किसे लड़की का चेक नही हुआ। क्यों जी ?

हा तो रात बारह बजे सब के सब बापस आ रहे थे की एक साथी परमोद को निशानेबाज़ी सूझी ।ये साथी बड़े चैंपियन टाइप थे ।डंडे से खेल कर भी शतक बना देते थे हर खेल मै आगे ।पर पता नही क्यों डेरी के काम मै बड़ी रूचि थी ।3 – 4 भेसो के देख भाल अकेले करते थे ।पढाई मै जरुर हलके रह गए थे । कुछ दिनों से दातों के पेइरिया बीमारी के देशी इलाज़ (शायद तम्बाकू का मंजन ) के कारण कुछ नशे में रहेते थे ।
सब ने रस्ते में पड़ने वाले नाम के बोर्ड पर पत्थर मारने शुरू कर दिये ।फिर अचानक ……. वो हुआ जो नही होना था ।परमोद का एक पत्थर सीधा बिजली के खम्बे पर हलोज़ेन की लाइट पर लगा और …अब की आखो के सामने अँधेरा छा गया ।ऐसी आवाज़ आई।।।। मानो कुए में कोई गिर गया हो । लाइट फूट गयी थी ।

अचानक पास के घर से चिलाने की आवाज़े आने लगी ।वो घर GIC के अध्यापक यादव जी का था ।जो सब लडको को क्लास सहित जानते थे ।सब भागने लगे मानो ओलंपिक फाइनल का रेस मुकाबला हो रहा हो !सब के सब भाग कर बॉस के छत पर चढ़ गए थे ।अभी इतना खतरा नही था मास्टरजी के दो लड़के थे जिनको धमकाया जा सकता था ।और मोहल्ले के सब लड़के उनके स्कूल में नही थे ।अपने दिल को दिलासा देते सब घर जाकर सो गए ।
पर सुबह ही क्लेस हो गया ।सचिन भाग कर आया और कहेने लगा की सरकारी पुलिस का एक मुखबिर एस घटना के बारे में पुच – ताछ कर रहा है।उनके मामा जी से जो खुद पुलिस में दरोगा
थे ।की रात मै किसने लाइट फोड़ी थी ।और नाम पता होने पर FIR भी होंगी । बातो बातो में पता चला की वो बहार नही गया था बाज़ार गया था तभी हँसकर सारी बाते बता रहा था\।अब सबको अपने घरबालो की प्रतिकिर्या याद आने लगी जो पुलिस से भी जाएदा खतरनाक हो सकती थी ।
कमजोर दिल वाले रोने लगे। पुलिस की मार से ड र कर ।प्रमोद का नाम नफरत से लेने लगे ।
पर बोस ने कहा “की हमें किसे का नाम नही लेना “सबको दोस्ती की कसम है ।चाहे जान चली जाये ।उन्हें अपनी नेतागिरी पर भरोसा था ।पर मम्मी की मार से कोन सा नेता बचा सकता है ?
अब उस पुलिस के मुखबिर की खोज शुरू की गयी ।किस तरह उसे चुप करना है ।पर पता चला वो सिदांत बादी टाइप है नही मानेगा ।और जाएदा कोशिश की तो सब को पहचान भी लेंगा ।
शाम तक जान गले में अटकी रही ।सारे इलाके में बात हो रही थी ।परमोद के पिताजी ने गद्दारी कर दी ।और गुरु जी को ये समझा आये की उनका लड़का बहा नही था ।यही से फूट पड गयी ।आपात बैठक में तय हुआ की सब परमोद का ही नाम लेंगे । और आगे से उसका बहिष्कार होंगा ।अब गुरु जी के लड़के को धमकी दी गयी की उसके पिता जी ने मास्टरी दिखाई तो ठीक न होंगा !और रही बात लाइट की तो वो ठीक जल्दी ही करवा दी जाएँगी ।वो थोरा डरपोक था सो उसने पता नही क्या किया गुरु जी गवाही देने से मुकर गए ।सब लडको के नाम भूल गए ।पर पुलिस के घर आने का डर अभी बाकि था सो सचिन के मामा के पास जाकर थाने की फील्डिंग लगवा दी गयी ।उन्हें पटाने मै माफ़ी – रोना -धोना- रिश्ते नाते , सब चला ।बाकि तो MP सहाब है ही …. बहुत पोस्टर /नारे लगाये थे चुनाव मै , सबने उनके दो टाइम के आलू -पूरी और आम के आचार के लिए ।दारू भी थी, पर अभी लड़के इतने बड़े नही हुए थे ।घर का डर दिल में था ।

अचानक पता चला की वो मान गया , जो पहला इमानदार आदमी था जिसने देश के बारे मै सोचा था । सचिन के मामा ने अपना काम कर दिया ।
सब ने आराम की सास ली ।
पर प्रमोद अब सब से अलग रहने लगा था ।और मोका मिलते ही सबने उससे बदला ले ही लिया !पिटाई भी करी ।और 6 सालो के बाद हुई शादी मै भी कोई नही गया । आज तक उसका बहिष्कार है ।हां लाइट जरुर 7 दिनों में बदलवा दी गयी ।

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